श्रीमद् भगवद्गीता के 20 सबसे प्रेरणादायक और जीवन को दिशा देने वाले श्लोक

श्रीमद् भगवद्गीता के 20 सबसे प्रेरणादायक और जीवन को दिशा देने वाले श्लोक

उनके हिंदी में अर्थ और व्याख्या सहित दिए गए हैं:

श्रीमद् भगवद्गीता के 20 सबसे प्रेरणादायक और जीवन को दिशा देने वाले श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥
📖 (अध्याय 2, श्लोक 47)

हिंदी अर्थ: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में कभी नहीं। इसलिए तुम कर्म को फल के लिए मत करो, और न ही तुम्हारी निष्क्रियता में आसक्ति हो।

व्याख्या: यह श्लोक जीवन का मूल सिद्धांत सिखाता है — कर्म करो, फल की चिंता मत करो। अपने कार्य को निष्ठा से करो, फल अपने आप मिलेगा।


2. योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।

सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
📖 (अध्याय 2, श्लोक 48)

हिंदी अर्थ: हे अर्जुन! योग में स्थित होकर, आसक्ति को त्यागकर, सफलता और असफलता में समभाव रखते हुए कर्म करो। यही समत्व को योग कहा गया है।

व्याख्या: जीवन में हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना ही सच्चा योग है। सफलता और विफलता दोनों को समान समझो।
3. न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः।

न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम्॥
📖 (अध्याय 2, श्लोक 12)

हिंदी अर्थ: न तो मैं कभी न था, न तुम थे, न ये राजा लोग थे और न ही आगे हम सब कभी नहीं रहेंगे — ऐसा नहीं है।

व्याख्या: आत्मा अजर, अमर और शाश्वत है। शरीर नाशवान है, आत्मा सदा रहती है।
4. आत्मा न जायते न म्रियते वा कदाचित्।

नायं भूत्वा भविता वा न भूयः॥
📖 (अध्याय 2, श्लोक 20)

हिंदी अर्थ: आत्मा कभी जन्म नहीं लेती और न ही मरती है। यह न कभी उत्पन्न हुई है और न ही भविष्य में कभी उत्पन्न होगी।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मा की अविनाशी प्रकृति को दर्शाता है।
5. विद्या विनय सम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।

शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः॥
📖 (अध्याय 5, श्लोक 18)

हिंदी अर्थ: ज्ञानी व्यक्ति विद्या, विनययुक्त ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल (अछूत) में समभाव देखता है।

व्याख्या: सच्चा ज्ञान हमें भेदभाव से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है।
6. यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽअत्मानं सृजाम्यहम्॥
📖 (अध्याय 4, श्लोक 7)

हिंदी अर्थ: जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उदय होता है, तब-तब मैं अपने को प्रकट करता हूँ।

व्याख्या: भगवान समय-समय पर धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश हेतु अवतार लेते हैं।
7. परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
📖 (अध्याय 4, श्लोक 8)

हिंदी अर्थ: सज्जनों की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।

व्याख्या: यह ईश्वर की कर्तव्यनिष्ठा और करुणा को दर्शाता है।
8. उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः।

यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः॥
📖 (अध्याय 15, श्लोक 17)

हिंदी अर्थ: उस सर्वोच्च पुरुष को परमात्मा कहा गया है जो तीनों लोकों में व्याप्त होकर उन्हें धारण करता है।

व्याख्या: परमात्मा सर्वव्यापक और निर्विकारी हैं।
9. अहं आत्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।

अहं आदिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च॥
📖 (अध्याय 10, श्लोक 20)

हिंदी अर्थ: हे अर्जुन! मैं सभी जीवों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ; मैं ही जीवों का आदि, मध्य और अंत हूँ।

व्याख्या: भगवान स्वयं को अस्तित्व का मूल बताते हैं।
10. श्रीभगवानुवाच

मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः॥
📖 (अध्याय 12, श्लोक 8)

हिंदी अर्थ: भगवान बोले — तू अपना मन मुझ में लगा और बुद्धि मुझ में लगाकर मुझ में ही निवास कर। इसमें कोई संदेह नहीं कि तू फिर मुझमें ही समाहित होगा।

व्याख्या: भक्ति मार्ग की सरलता इस श्लोक से स्पष्ट होती है।
11. न जायते म्रियते वा कदाचिन् नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

📖 (अध्याय 2, श्लोक 20)

हिंदी अर्थ: आत्मा कभी जन्म नहीं लेती और न ही मरती है।

व्याख्या: आत्मा शाश्वत और अविनाशी है।
12. तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर।

📖 (अध्याय 3, श्लोक 19)

हिंदी अर्थ: इसलिए आसक्ति को त्यागकर सदा अपना कर्तव्य कर्म करो।

व्याख्या: कर्तव्य पालन ही धर्म है।
13. सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।

अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
📖 (अध्याय 18, श्लोक 66)

हिंदी अर्थ: सारे धर्मों को त्यागकर तू केवल मेरी शरण में आ जा; मैं तुझे समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर।

व्याख्या: पूर्ण समर्पण से मोक्ष प्राप्त होता है।
14. न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।

📖 (अध्याय 3, श्लोक 5)

हिंदी अर्थ: कोई भी व्यक्ति एक क्षण भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता।

व्याख्या: कर्म करना अनिवार्य है — निष्क्रियता संभव नहीं।
15. काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।

📖 (अध्याय 3, श्लोक 37)

हिंदी अर्थ: यह काम (इच्छा) और क्रोध ही रजोगुण से उत्पन्न होते हैं और यही पाप का कारण हैं।

व्याख्या: वासनाओं पर नियंत्रण ही आत्मविकास की कुंजी है।
16. ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः।

📖 (अध्याय 5, श्लोक 16)

हिंदी अर्थ: जिनके अज्ञान को आत्मज्ञान ने नष्ट कर दिया है, उनका ज्ञान सूर्य की तरह प्रकाशमान होता है।

व्याख्या: ज्ञान से अंधकार दूर होता है।
17. आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।

📖 (अध्याय 6, श्लोक 5)

हिंदी अर्थ: आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा ही शत्रु।

व्याख्या: स्वयं को जीतना ही सबसे बड़ा विजय है।
18. यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम्।

📖 (अध्याय 12, श्लोक 17)

हिंदी अर्थ: जो व्यक्ति हर वस्तु में आसक्ति रहित होता है, और शुभ-अशुभ में समभाव रखता है, वह भक्त मुझे प्रिय है।

व्याख्या: समत्व और वैराग्य परमभक्ति की निशानी है।
19. अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।

📖 (अध्याय 4, श्लोक 40)

हिंदी अर्थ: जो अज्ञानी और श्रद्धा रहित होता है और संदेह करता है, वह नष्ट हो जाता है।

व्याख्या: श्रद्धा और ज्ञान ही उद्धार का मार्ग है।
20. अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।

तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
📖 (अध्याय 9, श्लोक 22)

हिंदी अर्थ: जो मेरे अनन्य भक्त मेरी उपासना करते हैं, उनके योग और क्षेम का मैं स्वयं वहन करता हूँ।

व्याख्या: ईश्वर अपने भक्त की हर चिंता स्वयं हर लेते हैं।